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Operation Mahadev :जम्मू-कश्मीर में आतंकियों का अस्थायी ठिकाना मिला, तीन विदेशी आतंकवादी ढेर, AK-47 सहित असॉल्ट राइफल्स और राशन बरामद

भारतीय सेना, CRPF व J&K पुलिस द्वारा ऑपरेशन महादेव में किए गए सर्च-ऑपरेशन से तीन प्रमुख आतंकियों का ठिकाना पकड़ा गया। ड्रोन और मौके की तस्वीरों में असॉल्ट राइफल्स, कंबल, राशन, और गुप्त कैंप दिख रहे हैं। यह कार्रवाई संभवतः पाहलगाम आतंकी हमले के मुख्य षड्यंत्रकर्ताओं से जुड़ी है।

श्रीनगर / नई दिल्ली, 28 जुलाई 2025:
भारतीय सेना, CRPF तथा जम्मू-कश्मीर पुलिस की संयुक्त कार्रवाई ऑपरेशन महादेव के तहत एक त्वरित और प्रभावी अभियान में तीन “high‑value” आतंकवादियों को सत्यानाश कर दिया गया। यह ऑपरेशन डाचिगाम के घने जंगलों में, पहलगाम हमला की पृष्ठभूमि में स्थित लिडवास क्षेत्र के पास अंजाम दिया गया, जहाँ आतंकियों का एक अस्थायी ठिकाना मिला है।

सुरक्षा बलों को दो सप्ताह पहले से संदिग्ध संचार (communication intercept) की सूचना मिली थी, जिससे यह अंदेशा था कि यह समूह 22 अप्रैल 2025 के पाहलगाम आतंकी हमले में शामिल हो सकता है। स्थानीय ग़रीब nomads ने क्षेत्र की जानकारी दी और उसके आधार पर सेना ने ठोस कार्रवाई की ।

ऑपरेशन में सुलेमान शाह, जिन्हें “Hashim Musa” उपनाम से भी जाना जाता है, जिन्होंने पाहलगाम हमला की रचयिता और निष्पादक के रूप में पहचान बनी है। दो अन्य आतंकियों: Abu HamzaYasir, जिन्हें भी लश्कर-ए-तैयबा से संबंधित बताया जा रहा है। तीनों विदेशी नागरिक माने गए हैं, और इन्हें “high-value targets” की श्रेणी में रखा गया था।

ड्रोन द्वारा खींची गई तस्वीरों एवं सर्च ऑपरेशन के दौरान निम्न वस्तुएँ बरामद की गईं:

  • कई असॉल्ट राइफल्स, जिनमें AK-47 और M4 कार्बाइन शामिल हैं

  • 17 से अधिक ग्रेनेड, मैगज़ीन सहित, एक गहरीछुपी झोंपड़ी के आस-पास मिलें

  • तिरपाल की चादरें और जंगल में टंगी हरी शीट, जो छुपाव और आश्रय का केंद्र थीं

  • ठिकाने में कंबल, कपड़े, प्लास्टिक बैग, बर्तनों और राशन के पैकेट एकत्रित मिले स्पष्ट संकेत यह था कि यह एक अस्थायी कैंप था जिसमें आतंकवादी लंबे समय तक रह रहे थे

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ऑपरेशन का पूरा टीमवर्क

  • ऑपरेशन महादेव में 24 राष्ट्रीय राइफल्स और 4 PARA कमांडो की संयुक्त टीम ने हिस्सा लिया, विशेष जोर सेना, CRPF और पुलिस के बीच तालमेल पर था।

  • चेक-पॉइंट, ड्रोन सर्विलांस और जमीन पर सटीक घेराबंदी से आतंकियों को सन्निहित किया गया, जिससे तीन आतंकी एक साथ मार गिराए गए

अगली चरण में आतंकियों की पहचान की प्रक्रिया जारी है। अभी तक पहचान की पुष्टि नहीं हुयी है, लेकिन हाई संभावना जताई जा रही है कि ये वही षड्यंत्रकारी थे, जिनका कनेक्शन पाहलगाम आतंकी हमले से सीधे जुड़ा था। यदि पुष्टि होती है, तो ऑपरेशन की वैधता और सफलता में चार चाँद लगेंगे ।
सरसोन्ध क्षेत्रों में आर्थिक एवं आतंकवादी जाल की तलाशी की जा रही है, साथ ही संभावित नेटवर्क संपर्कों का पता लगाना भी जारी है।

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ऑपरेशन का कोडनाम “महादेव” महादेव पहाड़ और ज़बारवान श्रेणी के पास होने के कारण चुना गया यह नाम धार्मिक प्रतीक और रणनीतिक स्थान दोनों को संकेत करता है। यह ठिकाना महादेव पीक के पास स्थित था, जो श्रीनगर के जैविक जंगल क्षेत्रों का हिस्सा है ।

ऑपरेशन ने ऑपरेशन सिंदूर के बाद आतंकवाद विरोधी नीतियों को आगे बढ़ाया यह संकेत देता है कि भारत सीमा पार आतंकी ठिकानों में भी ताकत दिखा रहा है

ऑपरेशन महादेव ने न केवल एक महत्वपूर्ण आतंकवादी नेटवर्क को नष्ट किया, बल्कि विगत में हुए पाहलगाम हमले की साजिश में शामिल मुख्य षड्यंत्रकर्ताओं तक पहुंच बनाई। ड्रोन व जमीन से ली गई तस्वीरों में जो कैम्प दिखाई दे रहा है, वह बता रहा है कि आतंकवादी लंबे समय से जंगल में पनपे हुए थे।

यह सफलता सेना, पुलिस और इंटेलिजेंस की संयुक्त कार्यवाही का परिणाम है। आने वाले दिनों में जांच टीम आतंकियों के नेटवर्क, फंडिंग स्रोत और मोबाइल/संचार कनेक्शन की पड़ताल करेगी। यह ऑपरेशन आतंकवाद के खिलाफ भारत की निर्णायक रणनीति में एक अहम मोड़ साबित हो सकता है।